मुझको मेरे शब्दों में मत ढूंढ़ना तुम
मै दिल के पन्ने लिखा एक सफा हूँ !
मुझको मेरी गलियों में मत ढूंढ़ना तुम
मै चलती हवा के रुख का दर्द भरा झोखा हूँ
काट के पत्थर जो अपने रास्तों पे निकला है
मै दिल की दरारों से निकला एक लहुँ का दरिया हूँ !
अब तो समझो , अब तो मानो
मेरी धड़कन की सदा
मै तो मै हूँ , मै नहीं हूँ
मै तो बरसों से बदलती अपनी रूह का धोखा हूँ !
साथ मेरे चल रहा है वक़्त और मेरा नसीब
फिर भी मै हूँ मै ही मै हूँ, बार बार बकता हूँ
मुझको मेरे शब्दों में मत ढूंढ़ना तुम .........